कौशिकी चक्रवर्ती
भारतीय शास्त्रीय गायिका कौशिकी चक्रवर्ती अपनी विशिष्ट गायकी
शैली के लिए जानी जाती हैं। वह "पटियाला घराना" से हैं और अपनी
गायकी में विविधता और गहराई के लिए जानी जाती हैं।
कौशिकी चक्रवर्ती 24 अक्टूबर 1980 को कोलकाता, पश्चिम बंगाल में पैदा हुई
थी । उनके पिता, पंडित अजय चक्रवर्ती, पटियाला घराने के प्रसिद्ध शास्त्रीय
गायक थे। चंद्रिमा चक्रवर्ती नामक उनकी माँ ने अपनी बेटी को पहली बार संगीत
सिखाया।
कौशिकी ने बहुत छोटी उम्र में संगीत सीखा था। उन्हें अपने माता-पिता ने पहले
संगीत सिखाया गया था. फिर अपने पिता पंडित अजय चक्रवर्ती के मार्गदर्शन में
उन्होंने शास्त्रीय संगीत की गहराइयों को सीखा।
संगीत में योगदान:-
कौशिकी चक्रवर्ती ने ठुमरी, दादरा, कजरी, चैती, भजन और हिंदुस्तानी शास्त्रीय
संगीत में महारत हासिल की है। उनकी गायकी पारंपरिक शास्त्रीय संगीत को आधुनिकता के
साथ जोड़ती है।
पुरस्कार और प्रशंसा:-
संगीत के लिए कौशिकी चक्रवर्ती को कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं। निम्नलिखित
प्रमुख पुरस्कार और सम्मान हैं:
BBC World Music Award (2005)
Sangeet Natak Akademi's Ustad Bismillah Khan Yuva Puraskar* (2012)
Girija Devi Puraskar
Global Indian Music Academy (GIMA) Award
गुरु और घराना:-
कौशिकी चक्रवर्ती का गायन पटियाला घराने से संबंधित है, जो अपनी जटिलता और गहन
गायकी के लिए प्रसिद्ध है। महान संगीतज्ञ पंडित अजय चक्रवर्ती अपने पिता ने
उनको प्रशिक्षण दिया। जो स्वयं एक उत्कृष्ट कलाकार हैं।
पटियाला घराने की विशेषताओं के साथ-साथ कौशिकी की गायकी में
व्यक्तित्व की गहराई झलकती है। तानों, लयकारी और रागों की प्रस्तुति में उनकी शैली
में जो संतुलन और गहराई है, वह उनके घर की परंपरा और व्यक्तिगत अभ्यास से आता है।
माता-पिताऔर गुरु:-
कौशिकी संगीत जीवन में उनके माता-पिता का बहुत बड़ा योगदान रहा है। उनके पिता
पंडित अजय चक्रवर्ती ने उन्हें एक संपूर्ण गायिका के रूप में तैयार किया और उनके
संगीत जीवन को दिशा दी , जबकि उनकी माँ चंद्रिमा चक्रवर्ती ने उन्हें प्रारंभिक
संगीत शिक्षा दी।
आज भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में कौशिकी चक्रवर्ती महत्वपूर्ण हैं और युवा
पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उनके योगदान ने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत को
एक नई दिशा दी है।
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