।। गमक ।।
संस्कृत शब्द 'गम', जिसका अर्थ चलना है, से गमक शब्द निकला। गंभीरतापूर्ण स्वर गाने या बजाने को गमक कहते है। 'संगीत रत्नाकर' में पं शांरगदेव जी ने लिखा है कि
"स्वरस्य कंपो गमक: श्रोतृचित्त सुखावह।"
जो श्रोता को सुख देता है, स्वरों के ऐसे कंपन को गमक कहा जाता है । पुराने समय में गमक के15 प्रकार होते थे। आज भी इनमें से कुछ को अलग नाम देकर प्रयोग किया जाता है, जैसे मींड, मुर्की, खटका, गिटकड़ी, ज़मज़मा आदि। हृदय पर जोर देने से ही गमक निकालता है। स्वर को एक विशिष्ट तरह से हिलाया जाता है। उसे अधिक प्रेरित किया जाता है। पं. शांरगदेव जी ने 15 प्रकार का गमक बनाया है।
1. अंदोलित:-
शब्द "अंदोलित" का अर्थ है कि एक समय में एक स्वर का कंपन होता है।
2. लीन:-
किसी स्वर को लीन कहते हैं जब वह 1/2 काल में कंपन हो जाता है।
3. प्लावित:-
प्लावित स्वर कंपन मात्रा के 3/4 काल में होता है।
4. कंपित:-
किसी स्वर को मात्रा के चौथाई समय में कंपन करने को कंपित कहते हैं। वर्तमान नाम खटका है।
5. स्फुरित:-
किसी स्वर को स्फुरित कहते हैं जब उसका कंपन 1/6 समय में होता है। आज इसका नाम गिटकरी है।
6: तिरिप:-
तिरिप किसी स्वर की कंपन मात्रा के 1/8 काल में होता है।
7: वली:-
वली जल्दी से स्वर कंपन करने को कहते है। वर्तमान नाम मींड है।
8: कुरूला:-
कुरूला कहलाता है जब वली के स्वर घनिष्ठ होते हैं। वर्तमान नाम घसीट है।
9. मुद्रित:-
मुद्रित शब्द मुंह बंद करके स्वरों को कंपन करना कहते हैं।
10. गुम्फित या हम्पित:-
गंभीरता से स्वर कंपन को गुम्फित कहते हैं।
11. त्रिभिन्न:-
त्रिभिन्न एक कंपन है जो जल्दी से तीन सप्तकों के समान स्वर बजाते हैं।
12. आहत:-
13. उल्हासित:-
उल्हासित को ऊपर से नीचे या नीचे से ऊपर क्रमबद्ध रूप में स्वरों को हिलाना कहते हैं।
14. नामित:-
नामित शब्द का अर्थ है नम्रता से स्वर कंपन करना।
15. मिश्रित:-
मिश्रित गायन दो से अधिक प्रकारों को एक साथ बजाना है।
संबंधित लेख
0 Comments