Thaat (Hindi) || थाट ||

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Thaat (Hindi) || थाट ||

 


||थाट||

        इसे मेल भी कहा जाता है। पुराने साहित्य में, शास्त्रकारों ने थाट को मेल के ही नाम से कहा है। राग उत्पन्न करने वाले स्वरों का समूह थाट या मेल कहलाता है।वर्तमान समय के दस थाटों में बस गई थाट प्रणाली, जो प्राचीन काल से अनेक चक्कर काटती आई है। ये दस थाटों के स्वर, चिन्हों के साथ हैं।

ये दस थाटों के स्वर, चिन्हों के साथ हैं:-

1. बिलावल थाट:- स रे ग म प ध नी -----सभी स्वर शुद्ध हैं ।
2. खमाज थाट:- स रे ग म प ध नी -----बाकी स्वर शुद्ध, नी कोमल है।
3. काफी थाट: स रे म प ध नी -----बाकी स्वर शुद्ध,  नी कोमल हैं।

4. आसावरी थाट:- स रे म प नी -----बाकी स्वर शुद्ध, नी कोमल हैं।
5. भैरवी थाट:- रे म प नी -----बाकी स्वर शुद्ध, रे नी कोमल
हैं।
6. भैरव:- रे ग म प नी-----बाकी स्वर शुद्ध, रे कोमल
हैं।
7. कल्याण थाट:- स रे गप ध नी-----बाकी स्वर शुद्ध, केवलतीव्र हैं।

8. मारवा थाट:रे प ध नी---बाकी स्वर शुद्ध, रे कोमलतीव्र हैं।
9.
पूर्वी थाट:- रे नी-----बाकी स्वर शुद्ध, रे कोमलतीव्र हैं।
10.
तोड़ी थाट:- रे नी-----बाकी स्वर शुद्ध, रे कोमलतीव्र हैं।

थाट नियम:-

(1) थाट में सिर्फ सात स्वर होने चाहिए।
(2)
स्वर क्रम में थाट होना चाहिए।
(3)
थाट में आरोह और अवरोह दोनों की आवश्यकता नहीं है।
(4)
थाट गाया बजाया नहीं जाता।
(5)
थाट सख्त होना आवश्यक नहीं है।

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