Bihag Raag (Hindi) || राग बिहाग ||

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Bihag Raag (Hindi) || राग बिहाग ||

राग बिहाग



 || राग बिहाग ||


तीव्र में विवादी सुर से, और खिलता राग बिहाग।

रात के दूजे प्रहर में गाईए, और आरोह में रे, त्याग ।।
थाट:- बिलावल

स्वर:- सभी शुद्ध, कभी-कभी तीव्र विवादी स्वर के नाते प्रयोग होता है।
संवादी स्वर:- नी

वादी स्वर:-
जाति:- (क्योंकि आरोह में रे - वर्जित स्वर हैं) औड़व सम्पूर्ण
गायन समय:- रात का दूसरा प्रहर
आरोह:- नी , , नी सं
अवरोह:- सं नी , में , , रे
पकड़:- नी , मं ,

राग बिहाग विशेषताएं:-

(1) इस राग में पुराने समय में  केवल शुद्ध का प्रयोग होता था। कुछ लोग इसे कल्याण थाट का राग मानने लगे हैं क्यों कि, आजकल तीव्रका खुले रूप से प्रयोग होने लगा है 
(2)
यह गंभीर राग है। इसमें तराने, बड़े ख्याल और छोटे ख्याल गाए जाते हैं।
(3)
यह राग मंद्रसे शुरू होता है, जैसे नी ,
(4)
राग में कभी-कभी तीव्र का प्रयोग किया जाता है, जो सुंदरता को बढ़ाता है।
(5)
तीनों सप्तकों में यह राग समान रूप से गाया जाता है।
(6)
इस राग में 'रे' और '' का अवरोह बहुत कम होता है। जैसे संनी  धप मग रेस

(7) न्यास स्वर:- , , और नी
(8)
यमन कल्याण = मिलता जुलता राग।

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