|| राग भीमपलासी ||
म वादी तथा स संवादी भीमपलासी राग है ।।
थाट काफी ग- नी कोमल तथा आरोह में रे-ध त्याग है ||
स्वर = ग नी कोमल बाकी स्वर शुद्ध है|
थाट = काफी है|
संवादी स्वर = स
वादी स्वर = म
जाति = औड़व-सम्पूर्ण
गायन समय :- दिन का तीसरा प्रहर
(क्योंकि अवरोह सम्पूर्ण है आरोह में रे और ध स्वर वर्जित हैं)
अवरोह क्या है:- सं नी ध प, म ग रे स।
भीमपलासी राग विशेषताएं :-
(1) यह
एक गंभीर और
करुण प्रकृति राग है। इसमें छोटा
ख्याल, बड़ा ख्याल,
धमार, ध्रुपद और
तराना गीत गाये
जाते हैं। इस
राग में ठुमरी
नहीं है।
(2) इस राग में
बार-बार स-म और प ग की संगति
दिखाई देती है।
(3) यह पूर्वांगवादी है
क्यों कि इस
राग का वादी
स्वर 'म' है|
(4) यह राग बहुत
पसंद किया जाता
है।
(5) इस राग
में स, ग, म और प न्यास के
स्वर हैं
(6) धनाश्री और
बागेश्वरी मिलते
जुलते राग हैं।
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