॥ खटका ॥
"खटका" का साधारण अर्थ है डर, भय, शक आद खटका प्राचीन गनक में "स्फूरित" है।"खटका" चार या चार से अधिक स्वरों की गोलाई को द्रुत लय में इस्तेमाल करने को कहते हैं। खटका की क्रिया में मूल स्वर से अगले और पहले स्वर को धीरे-धीरे बजाया जाता है, फिर मूल स्वर को बजाया जाता है, जैसे "प" पर खटका देना। 'प' स्वर से अगला स्वर 'ध' बजाया जाएगा, फिर 'प' स्वर बजाया जाएगा। इसके बाद, पहला स्वर 'म' गाया जाएगा और फिर दो बार 'प' गाया जाएगा। 'ध प म प' स्वरों
को जल्दी से
गाया जाता है ता
कि 'प' स्वर पर
खटका लिया
जा सके, जो
सुनने में मधुर
और सुखद लगता
है। स्वरलिपि में
खटका लिखने के
लिए स्वर को
कोष्टक या ब्रैकेट
में लिखते हैं,
जैसे ठुमरी, दादरा
टप्पा और वादन
संगीत में 'ध प म प' अर्थात
(प) खटके का प्रयोग
किया जाता है।
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