Alap (Hindi) ।। आलाप ।।

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Alap (Hindi) ।। आलाप ।।

आलाप

 ।। आलाप ।।


    

        राग या वादन सीधे शुरू नहीं होता, बल्कि उसके आलाप से होता है। आलाप राग के मुख्य स्वरों को विलंबित लय में बढ़ाना होता है। वर्ण, गमक, मींड, खटका, मुर्की से आलाप की सजावट की जाती है। आलाप करके गायक या वादक राग को अपनी भावनाओं से व्यक्त करता है। यह भाव प्रधान है।
        गायन में दो तरह का आलाप होता है। मुख्य दो स्थानों पर आलाप किया जाता है: पहला आकार 'नोम्-तोम्' जैसे शब्दों से और दूसरा आकार। एक गीत या गत से पहले, जो ताल रहित, और दूसरा गीत या गत के मध्य, जो ताल बद्ध आलाप होता है।

        "नोम् तोम्" का आलाप चार भागों में विभाजित होता है: स्थाई, अंतरा, संचारी और आभोग। सभी लोग आलाप करने से राग के पूरे माहौल का आनंद लेते हैं। आलाप के बाद ही तबले के साथ गीत या गत को शुरू किया जाता है। गाने के बीच बीच में आलाप होता है। गायक गीत का मुखड़ा और वादक गत का मुखड़ा ही तबले से मिलाता है।
वादक कलाकार पहले आलाप और  फिर जोड़ आलाप दोहराते हैं। जोड़ झाला बजाने के बाद गत शुरू होता हैं।। गायक पहले आकार या नोम् तोम् में आलाप करते  हैं, फिर बीच-बीच में आकार और बोलों को लेकर बोल आलाप करते  हैं।राग का रस बनाने के लिए गीत और गत में आलाप करते रहना जरुरी है

 

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