|| सप्तक ||
सप्तक समूह सातों शुद्ध स्वरों को क्रम से सजे हुए कहते हैं।
इनके नाम स, रे, ग, म, प, ध और नी हैं। स्वरों की संख्या क्रमानुसार
बढ़ेगी। जैसे रे, स से ऊंचा, ग, रे से ऊंचा ।इस प्रकार, स से नी तक एक सप्तक होता है।
सप्तक बहुत हो सकते हैं, लेकिन गुणीजनों ने मनुष्य की आवाज़ के
अनुसार तीन सप्तक माने हैं।
1. मध्य सप्तक:-
मध्य सप्तक में अधिक गाना होता है। यह सप्तक दोनों सप्तकों के
बीच है। इस सप्तक में आवाज़ न तो बहुत ऊंची होती है न नीची। इस सप्तक, स्वरलिपि में कोई संकेत नहीं है।
2. मंद्र सप्तक:-
मध्य सप्तक से पहले मंद्र सप्तक आता है। यह सप्तक मध्य सप्तक
की तुलना में आधी आंदोलन संख्या वाला होता है जैसे कि मध्य स का आंदोलन 240 है, इसलिए मंद्र स का आंदोलन 120 होगा। इस सप्तक के स्वर गंभीर और भारी होते
हैं। स्वरलिपि बताती है कि इस सप्तक के स्वर के नीचे बिंदू है। जैसे नी़, ध़, प़, म़
3. तार सप्तक:-
तार सप्तक मध्य सप्तक के बाद आता है। मध्य सप्तक के स्वरों से इस सप्तक की अंदोलन संख्या दुगुनी
होती है। मध्य स की अंदोलन संख्या 240 है, तो तार सं संख्या 480 है। इस सप्तक, स्वर तीखे और ऊंचे होते हैं।
स्वरलिपि बताती है कि इस सप्तक के स्वरों पर बिंदू है। सं, रें, गं, मं
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