|| राग भैरव ||
स्वर = रे ध कोमल अन्य स्वर शुद्ध
थाट = भैरव
संवादी स्वर - रे
वादी = ध
गायन समय = प्रातः कालीन संधि प्रकाश (सुबह 4 से 7 बजे तक)
जाति = सम्पूर्ण-सम्पूर्ण
आरोह:- स रे ग म, प ध नी स
अवरोह:- स नी ध प, म ग रे स
पकड़:- ग म ध ध प, ग म रे रे स
रे ध अति कोमल, लगा के गाईए भैरव राग।
सुबह सवेरे करो वंदना जाग जाएंगे भाग।।
भैरव राग विशेषताएं:
(1) यह
एक पुराना है। माना जाता
है कि भैरव
राग सबसे पहले
महादेव के मुख
से निकला था।
(2) मध्यकाल में,
हर पक्ष ने
इसे प्रमुख मुद्दा
माना।
(3) यह गंभीर राग
है। इसमें यह
सभ गाए जाते
हैं। धुपद, धमार,
बड़ा ख्याल, छोटा
ख्याल और तराना
।
(4) इस राग में
कोमल रे ध
अंदोलित होता
है, जैसे ग
म ध ध
प, ग म
रे रे स।
(5) इस राग के
आरोह में कभी-कभी "प" (जैसे ग म
ध ध प)
और "ग" (जैसे ग म
रे रे स)
का वकर प्रयोग
किया जाता है।
(6) यह उत्तरांगवादी राग
है क्योंकि इसका
वादी स्वर ध
है।
(7) समप्राकृतिक राग: रामकली और कालिंगड़ा
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