Pandit Shri Krishan Rao Shankar (Hindi) || पंडित श्री कृष्णराव शंकर ||

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Pandit Shri Krishan Rao Shankar (Hindi) || पंडित श्री कृष्णराव शंकर ||


 

पंडित श्री कृष्णराव शंकर

पंडित श्री कृष्णराव शंकर

            21 जुलाई 1894 को दक्षिण ब्राहम्ण परिवार में ग्वालियर में पं कृष्णराव शंकर जी का जन्म हुआ। इनके पिता श्री शंकर राव, एक प्रसिद्ध संगीतज्ञ थे। श्री कृष्णराव ने बचपन में ही संगीत सीखना शुरू किया था  थोड़ी देर बाद इनके पिता ने हद्दू और नत्थू खां से पढ़ाया।
        आप उस्तादों से सीखने और प्रयास करने के बाद संगीत की दुनिया में काफी लोकप्रिय हो गए। लयकारी गायन में इतना अच्छा करते थे कि श्रोता और दूसरे संगीतकार खुले दिल से उनकी प्रशंसा करते थे।
        पं जी का स्वभाव बहुत ही सहज था। आपने गायन के अलावा कई पुस्तकें लिखीं, जिनमें संगीत प्रवेश, सरगम सार और आलाप संचार सबसे प्रसिद्ध हैं। 1913 में, ग्वालियर के राजा सतारा ने इन्हें शिक्षक बनाया। बाद में उन्होंने वर्तमान ग्वालियर नरेश और उनकी बहन कमला को संगीत सिखाया। कुछ समय बाद वे दरबार छोड़कर देश की यात्रा पर चले गए। अपने पिता के नाम पर शंकर गंधर्व विद्यालय की स्थापना की। आज भी यह संस्था अच्छी तरह से काम कर रही है। 1926 में, आलिया कौंसल ने फिर से पंडित जी को ग्वालियर के दरबार में दरबारी गायक नियुक्त किया।
        गायकी में राग की शुद्धता पर पं जी का विशेष ध्यान था। पं जी की गायन शैली संगीत जगत में विशिष्ट है। राग और लय पर आपका अधिकार स्पष्ट है। ग्वालियर घराने की खुली और वजनदार आवाज रही है। तीनों सप्तकों में पं जी मुश्किल हरकतें और तानें बड़े आराम से गाते थे। आपका गायन शुरू से ही लय कायम करके निरंतर आलापचारी करता है। गमकए ज़मज़माए तानों और खटकों से आप की गायकी को चार चांद लगाया गया।
1947 में, ग्वालियर के महाराज ने आपको 'संगीत अलंकारकी उपाधि दी। आप जी को 1962 में खैरागढ़ विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट (पीएचडीकी उपाधि मिली। आपको 1973 में भारत सरकार ने 'पद्म विभूषणसे सम्मानित किया। 1980 में आपको तानसेन एवार्ड मिला। आपके शिष्यों में आपकी पौत्री मीता पंडित जी, आपके सुपुत्र पं लक्ष्मण रवि शंकरए , प्रो साराचन्द्राए  और बाला साहेब पूंछ से आने वाले प्रो साराचन्द्रा जी का नाम विशेष है।
        अंत में पंडित ने 22 अगस्त 1989 को ग्वालियर में संगीत की सेवा करते हुए आखिरी सांस ली। पं जी का नाम संगीत के इतिहास में अमर रहेगा।

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